बड़े मंदिर गुरुजी सत्संग का महत्त्व
डुगरी गांव, मालेरकोटला, पंजाब, भारत मे गुरुजी सत्संग। गुरुजी ने अपने बचपन के दिन डुगरी इलाके में बिताए। उन्होंने वहीं स्कूल और कॉलेज की शिक्षा प्राप्त की और राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की। जो लोग उन्हें तब से जानते थे, वे कहते हैं कि बचपन से ही उनके अंदर आध्यात्मिकता की झलक थी। यह चिंगारी तेजी से जल उठी और गुरुजी के आशीर्वाद की बारिश से लाखों लोगों के दुःख-दर्द दूर हो गए। गुरुजी सत्संग
गुरुजी का प्रारंभिक जीवन
गुरुजी ने जलंधर, चंडीगढ़, पंचकुला और नई दिल्ली सहित कई स्थानों पर बैठकर लोगों को अपने आशीर्वाद दिए। सत्संग की शुरुआत हुई, जिसमें लोग भारत और दुनिया भर से उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आने लगे। गुरुजी के विशेष दिव्य आशीर्वाद लंगर प्रसाद और गुरुजी सत्संग में परोसी जाने वाली चाय में होते थे। उनके अनुयायियों ने उनके आशीर्वाद के विभिन्न तरीकों से अनुभव किया, जैसे असाध्य बीमारियों का इलाज और भावनात्मक, वित्तीय और कानूनी समस्याओं का समाधान। कुछ संगत सदस्यों ने देवताओं के दिव्य दर्शन भी किए।
गुरुजी सत्संग का प्रभाव
गुरुजी के लिए कुछ भी असंभव नहीं था, वे भाग्य को लिखने और बदलने की शक्ति रखते थे। सभी धार्मिक सम्प्रदायों के लोग, अमीर-गरीब, उच्च-नीच सभी उनका स्वागत करते थे। सबसे सामान्य लोगों से लेकर सबसे प्रभावशाली राजनेता, व्यवसायी, नौकरशाह और सैन्य पेशेवर, डॉक्टर और सशस्त्र बलों के सदस्य सभी उनके आशीर्वाद के लिए आते थे। गुरुजी ने सभी को समान रूप से आशीर्वाद दिया। चाहे वे लोग जो उनके पास बैठकर उनके चरणों को छूते थे या जो दूर से उनकी प्रार्थना करते थे, सभी को गुरुजी का आशीर्वाद प्राप्त होता था। सबसे महत्वपूर्ण था गुरुजी में पूरी तरह से समर्पण और अडिग विश्वास।
गुरुजी का उदार स्वभाव
गुरुजी एक उदार व्यक्ति थे जो दूसरों से कभी कुछ नहीं मांगते थे। वे कहते थे, “कल्याण करता,” और भक्त को “आशीर्वाद सदा” मिल जाता था। उन्होंने एक बार स्पष्ट किया कि उनका “आशीर्वाद सदा” इस जीवन तक सीमित नहीं था, बल्कि यह निर्वाण तक होता था। गुरुजी ने कभी भी कोई उपदेश नहीं दिया या किसी प्रकार की धार्मिक रस्में थोपने की कोशिश नहीं की। उनका संदेश भक्तों के लिए व्यक्तिगत रूप से समझने योग्य था।
जीवन में परिवर्तनकारी अनुभव
यह “संयोग” बहुत ही परिवर्तनकारी था और उत्साहित और ऊंचा उठाने वाला था। अनुयायियों के जीवन को ऐसी ऊंचाई पर ले जाया गया जहां संतोष, खुशी और शांति स्वतः ही मिल जाती थी। गुरुजी के रूप से गुलाबों जैसी सुंदर खुशबू आती थी। उनके अनुयायी आज भी उनकी उपस्थिति को उनकी खुशबू से महसूस करते हैं।
बड़े मंदिर गुरुजी सत्संग
31 मई, 2007 को गुरुजी ने महासमाधि ली। उन्होंने कोई उत्तराधिकारी नहीं छोड़ा; उनका कोई “दिव्य प्रकाश” नहीं है जो उनकी जगह ले सके। उन्होंने विशेष रूप से जोर दिया कि भक्त हमेशा “सीधे” जुड़ें, खासकर प्रार्थना और ध्यान के माध्यम से। दक्षिण दिल्ली के भट्टी माइंस में गुरुजी का एक मंदिर है, जिसे आमतौर पर बड़े मंदिर के रूप में जाना जाता है।
गुरुजी की अनुपस्थिति में भी आशीर्वाद
हालांकि गुरुजी अब शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हैं, उनके आशीर्वाद आज भी चमत्कार करते हैं और उनका अनुग्रह उन लोगों पर भी समान रूप से बरसता है जिन्होंने कभी उन्हें नहीं देखा। सत्संग सत्य को सुनने, चर्चा करने और आत्मसात करने वाली लोगों की सभा है; यह “सर्वोच्च सत्य” या गुरु का संग है।
सच्ची भक्ति और विश्वास
गुरुजी के जीवन से हमें कई महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलती हैं। उन्होंने हमें सिखाया कि सच्ची भक्ति और विश्वास से हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं। गुरुजी ने अपने जीवन में कभी भी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया और सभी को समान रूप से अपने आशीर्वाद दिए। यह बात हमें सिखाती है कि हम भी बिना किसी भेदभाव के सभी के साथ समानता और प्रेम का व्यवहार करें।
गुरुजी का संदेश
गुरुजी के आशीर्वाद से कई लोगों की जीवन में परिवर्तन आया। उनकी कृपा से लोगों ने अपने जीवन की दिशा बदली और नई ऊंचाइयों को प्राप्त किया। उनके अनुयायियों के अनुसार, गुरुजी की मौजूदगी का एहसास आज भी उनकी खुशबू से होता है। यह हमें यह सिखाता है कि सच्चे गुरु की उपस्थिति हमेशा हमारे साथ रहती है, चाहे वह शारीरिक रूप से हमारे साथ हों या नहीं।
सच्ची भक्ति में निःस्वार्थ सेवा
गुरुजी के जीवन और उनके आशीर्वाद की कहानियां हमें प्रेरणा देती हैं कि हम भी अपने जीवन में सच्ची भक्ति और विश्वास से किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं। उनके अनुयायियों का कहना है कि गुरुजी का संदेश और उनकी कृपा हमेशा हमारे साथ है, बस हमें सच्चे दिल से उनकी प्रार्थना करनी है और उन पर विश्वास करना है।
महासमाधि के बाद भी गुरुजी की कृपा
गुरुजी के जीवन से हमें यह भी सीखने को मिलता है कि सच्ची भक्ति में कोई स्वार्थ नहीं होता। गुरुजी ने कभी भी अपने अनुयायियों से कुछ नहीं मांगा, बल्कि हमेशा उन्हें आशीर्वाद और प्रेम दिया। यह हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति में हमें किसी प्रकार का स्वार्थ नहीं रखना चाहिए और हमेशा दूसरों की भलाई के लिए काम करना चाहिए।
गुरुजी सत्संग के माध्यम से गुरुजी का संदेश
गुरुजी की महासमाधि के बाद भी उनके अनुयायी उनकी कृपा और आशीर्वाद को महसूस करते हैं। उनका संदेश और उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों के जीवन में मार्गदर्शन करती हैं। सत्संग के माध्यम से गुरुजी का संदेश और उनकी कृपा आज भी लोगों तक पहुंच रही है और उनके जीवन को बेहतर बना रही है।
गुरुजी के आशीर्वाद से जीवन में परिवर्तन
गुरुजी का जीवन और उनके आशीर्वाद हमें यह सिखाते हैं कि सच्ची भक्ति और विश्वास से हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं और अपने जीवन को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। उनके अनुयायियों का कहना है कि गुरुजी का संदेश और उनकी कृपा हमेशा हमारे साथ है, बस हमें सच्चे दिल से उनकी प्रार्थना करनी है और उन पर विश्वास करना है
Guruji,
I feel blessed to have you